निशा के तिमिर को मिटा, उम्मीदों की अरुणिमा छाई। नए उत्साह, नई उमंगों और नई तरंगों के साथ भोर आई। चिड़ियों की चहचहाहट से आसमां गुंजायमान होने लगता। अनुपम, अलौकिक, नैसर्गिक नजारे मन को हर्षाने लगते। महकने लगती है सुबह सवेरे को देखकर मन की बगिया। मन प्रफुल्लित होकर नाचता, किरणें करती अठखेलियां। 🍬 #collabwithपंचपोथी 🍬 विषय - #भोर_हुई 🍬 प्रतियोगिता- 1 (मुख्य) 🍬 समय 29 sep रात 12 बजे तक 🍬 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।