उस दिन खिड़की पर बैठे हुए और चाय का प्याला किनारे रखकर मैं सर्द सुबह की सुनहरी धूप का आनंद ले रही थी, कि अचानक गली में हुए शोरगुल ने मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया । सुनने पर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो किसी की पिटाई हो रही थी । मैं बालकनी में जिज्ञासा वश चली गई देखने के लिए कि आखिरकार हो क्या रहा था गली में। देखा तो सामने वाले पाठक अंकल एक 14-15 साल के लड़के को मार रहे थे और साथ ही गालियाँ भी निकाल रहे थे। "शायद वो उनके घर पर काम करता है," मैंने सोचा। "ठीक से काम नहीं कर सकता ,मेरा इतना महंगा झूमर खराब कर दिया , इसके पैसे तेरा बाप भरेगा क्या ?" बेचारा लड़का रो रहा था और हाथ जोड़कर माफी मांग रहा था , मगर अंकल तो जानवरों के जैसे उसको मार रहे थे। आज देश मंगल पर भी पहुँच गया मगर देश में बाल मजदूरी का अमंगल अभी भी जारी है । आस पास का एक भी इंसान उस बच्चे को बचाने के लिए कोशिश नहीं कर रहा था । मैं आज उस दिन के बारे में लिख रही हूँ काश मैंने उस दिन भी ऐसा गुस्सा पाठक अंकल को दिखाया होता, या हेल्प लाइन पर बात की होती तो एक बच्चे की बेचारगी भरी जिंदगी कुछ तो ठीक होती .... आज के दौर में हम केवल अपने बारे में सोचते हैं इंसानियत जाने कहाँ खो गई है, संवेदनाएं कहीं मर गई हैं । एक एक प्रतिशत भी हम दूसरों के लिए सोचें तो सच में " मेरा भारत महान " ये नारा सार्थक हो जाए।। सोचिए जरूर •°•°•°•••••••••••••• #Us_din #Kahaniya #storytelling #nojotoquotesforall #anshulathakur #nojotowritersclub #nojotohindi #child_labour #mera_bharat_mahaan