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मेरे इश्क़ की नज़ाकत न समझी उसने,, इस तरह किया उसने

मेरे इश्क़ की नज़ाकत न समझी उसने,,
इस तरह किया उसने मुझे बेक़दर..

जिसको समझा मैंने अपनी जिंदगी का पनाह,,
जिसके लिए रहता था मैं बेसब्र...
मेरे इश्क़ की नज़ाकत न समझी उसने,,
इस तरह किया उसने मुझे बेक़दर..

हलचल होती थी जिसकी आहट् मात्र से
मेरी ज़िंदगी में,,
आज उनके लिए है जिंदगी बेखबर...
मेरे इश्क़ की नज़ाकत न समझी उसने,,
इस तरह किया उसने मुझे बेक़दर..

मेरी निगाहें तो आज भी उनकी राह देखती है,,
दूर दूर तक आये न वो मुझे नज़र...
मेरे इश्क़ की नज़ाकत न समझी उसने,,
इस तरह किया उसने मुझे बेक़दर.. बेक़दर
मेरे इश्क़ की नज़ाकत न समझी उसने,,
इस तरह किया उसने मुझे बेक़दर..

जिसको समझा मैंने अपनी जिंदगी का पनाह,,
जिसके लिए रहता था मैं बेसब्र...
मेरे इश्क़ की नज़ाकत न समझी उसने,,
इस तरह किया उसने मुझे बेक़दर..

हलचल होती थी जिसकी आहट् मात्र से
मेरी ज़िंदगी में,,
आज उनके लिए है जिंदगी बेखबर...
मेरे इश्क़ की नज़ाकत न समझी उसने,,
इस तरह किया उसने मुझे बेक़दर..

मेरी निगाहें तो आज भी उनकी राह देखती है,,
दूर दूर तक आये न वो मुझे नज़र...
मेरे इश्क़ की नज़ाकत न समझी उसने,,
इस तरह किया उसने मुझे बेक़दर.. बेक़दर