लेख चन्द से शुरू हुआ था, न जाने कब बिछड़ गया ! कट्टरता की पहचान बता, वो गले पे गला काट गया ! हिन्द की बुलन्दी थी इतनी, एक हाथ लगने पे विनाश हुआ ! न जाने कब इस मिट्टी के अंगारे, गला कटने में भी, मौन हो गया !! ये अंश की काया कल्प, न जाने कहा सो गयी ! जिस मिट्टी में जन्मे थे योद्धा, आज न जाने कहा खो गई !! समय सम्भलते समझ चलो, आगे की दास्तां बने चलो ! हम हिन्द हैं का अभिमान, जरा मैदान में आके दिखाओ !! यूँ मूर्त रूप की अज्ञानता का, आलसी के आलस में खो न दो ! इन आलसी काया के चक्कर में कही आगे जाके तुम मिट न चलो !! ©Nik Pant pahchan kahi n kho jaye ... lekh #Identity #niklekh #poerty #nojotopoerty #Nojoto #nojotohindi #nojoyopoetry #nojoyofamily #NojotoFemily