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उदासी की उमस उतरने दो, दुश्मनी की ढाल ढलने दो, भार

उदासी की उमस उतरने दो,
दुश्मनी की ढाल ढलने दो,
भारतीय महापर्व होली के,
कुछ गहरे गुलाल उड़ने दो।

वो पुराना पानी बहने दो,
वो कुओं की काई हटने दो,
तर हो जाये गाँव गलियारे,
कुछ रंग बेहिसाब उड़ने दो।

सभी गिले शिकवे भूलने दो,
सबके रुके कदम  बढ़ने दो,
उत्सवों से उत्साह उमंगे बढे,
कुछ उत्साह से रंग उड़ने दो।

बसंत को ग्रीष्म में बदलने दो,
नव किरणों को रोग हरने दो,
होली के रंग मनुहार के क्षण,
कुछ क्षण तो गुलाल उड़ने दो।

©Anand Dadhich #होली #Holi #Festival #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia #poetsof2022
उदासी की उमस उतरने दो,
दुश्मनी की ढाल ढलने दो,
भारतीय महापर्व होली के,
कुछ गहरे गुलाल उड़ने दो।

वो पुराना पानी बहने दो,
वो कुओं की काई हटने दो,
तर हो जाये गाँव गलियारे,
कुछ रंग बेहिसाब उड़ने दो।

सभी गिले शिकवे भूलने दो,
सबके रुके कदम  बढ़ने दो,
उत्सवों से उत्साह उमंगे बढे,
कुछ उत्साह से रंग उड़ने दो।

बसंत को ग्रीष्म में बदलने दो,
नव किरणों को रोग हरने दो,
होली के रंग मनुहार के क्षण,
कुछ क्षण तो गुलाल उड़ने दो।

©Anand Dadhich #होली #Holi #Festival #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia #poetsof2022