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शहीद भगत सिंह दीवाने शहीदों की मोहब्बत-ए-वतन की, त

शहीद भगत सिंह दीवाने शहीदों की मोहब्बत-ए-वतन की,
तमाम उम्र दास्तान-ए-उल्फ़त कहेंगे,
हम हिंदुस्तान के बाशिंदे जब तक जियेंगे,
"भगत सिंह" तुम्हारे कर्ज़दार रहेंगे ।।

रंग बिखरे हैं हज़ारों ज़माने में लेकिन,
अपना चोला "बसंती" वो रंग कर चला था,
ज़माना दीवाना है हुस्न का वो तो,
मोहब्बत आज़ादी के संग कर चला था।
महफूज़ किनारों की कब चाहत उसे थी,
थे इरादे हम खून की गंगा में बहेंगे।
हम हिंदुस्तान के बाशिंदे जब तक जियेंगे,
भगत सिंह तुम्हारे कर्ज़दार रहेंगे।।🙏 *शहीद भगत सिंह*

हक़ की खातिर महीनों वो भूखा रहा था,
वो नमक जो रिसते ज़ख्मो पर भरा था,
कांप जाए पत्थर भी वो दर्द सह कर भी,
न शिकन चेहरे पे,ना एक भी अश्क गिरा था।
इल्म था ज़ालिमों की कैद-ए-दोज़ख को ,
जंग-ए-आज़ादी की जन्नत कर देंगे।
शहीद भगत सिंह दीवाने शहीदों की मोहब्बत-ए-वतन की,
तमाम उम्र दास्तान-ए-उल्फ़त कहेंगे,
हम हिंदुस्तान के बाशिंदे जब तक जियेंगे,
"भगत सिंह" तुम्हारे कर्ज़दार रहेंगे ।।

रंग बिखरे हैं हज़ारों ज़माने में लेकिन,
अपना चोला "बसंती" वो रंग कर चला था,
ज़माना दीवाना है हुस्न का वो तो,
मोहब्बत आज़ादी के संग कर चला था।
महफूज़ किनारों की कब चाहत उसे थी,
थे इरादे हम खून की गंगा में बहेंगे।
हम हिंदुस्तान के बाशिंदे जब तक जियेंगे,
भगत सिंह तुम्हारे कर्ज़दार रहेंगे।।🙏 *शहीद भगत सिंह*

हक़ की खातिर महीनों वो भूखा रहा था,
वो नमक जो रिसते ज़ख्मो पर भरा था,
कांप जाए पत्थर भी वो दर्द सह कर भी,
न शिकन चेहरे पे,ना एक भी अश्क गिरा था।
इल्म था ज़ालिमों की कैद-ए-दोज़ख को ,
जंग-ए-आज़ादी की जन्नत कर देंगे।