ज़िंदगी की शाम जिंदगी की शाम की ऐसी कुछ परिभाषा है, की मेहनत का फल एक समुंद्री तट पे बिताये, साथ हो तेरा ओर न कोई हमारे बीच आये। चैन से बस फिर टुकुर-टुकुर निहारु तुम्हे, न किसी भी तरह की कोई चिंताए सताये। वृक्ष के नीचे बैठ के मैं तुझपे कविता लिखते जाऊ, तू बैठ मेरे बगल में ओर नादानियां दिखाए। जो छूट गया मजा समाज के डर में दिन भर, हम इस शाम में पूरा माहौल दोबारा बनाये। #Zindagi #nojotohindi #nojotoapp #sankalpgarg