रस्ता देखती है ये आँखे उसीके इतंज़ार में न जाने क्यूं उसके बिना ये सांसे अधूरी सी लगती है... ये जिंदगी तो उसीकी अमानत है ये जिंदगी तो उसीकी अमानत है ... न जाने क्यूं ,उसको खोने का डर लगता है... _ अरविंद राठोड तरसती आँखे