Mantri Ji कोई किनारा न था उस साहिल का पर मंजिल की तालाश में हौसलों की नौका लिये, कभी इस छोर को कभी उस छोर को मैं दर-दर भटकता रहा हारा नही मैं बेसहारा-सा अकेले ही सफर को चलता रहा ©ekta #kabita #Umeed this pic credit goes to #compass community on fb