*📝“सुविचार"*📚 ✍🏻 *“26/8/2021”*🖋️ 📘 *“गुरुवार”*🐄 एक “गाय/भैंस” जब “दुग्ध” देती है तो उसका एक “मूल्य” होता है,उस “दुग्ध” का आप यदि “दही” बना दो तो मूल्य थोड़ा बढ़ जाता है,“दही” का यदि “माखन” बना दो तो मूल्य थोड़ा और बढ़ जाता है,और “माखन” का यदि “घी” बना दो तो मूल्य और भी अधिक बढ़ जाता है, अब कारण क्या है और ऐसा क्यो होता है ? कारण है “परीक्षा”... “दुग्ध” में जब “जावन” मिलाया जाता है तो उसमें “दही की खठास” आती है,“दुग्ध का अस्तित्व” बदलने लगता है,दुग्ध को अपने इस “अस्तित्व” को बदलने का “दुःख सहना” पड़ता है तब जाके वो “दही” बनता है,तब जाके उसका मूल्य भी बढ़ता है,इस “दही” को “मथने” की चोट सहनी पड़ती है,तब जाके ये दही से “माखन” बनता है,तब जाके मूल्य भी बढ़ता है,इस “माखन” को जब “आग” पर “तपाया” जाता है तब जाके इस “माखन” से “घी” बनता है और तब जाके इसका मूल्य और भी अधिक बढ़ जाता है,“मनुष्य” के साथ भी यहीं है “कर्म” करते जाइए “कर्म की परीक्षा” में “उत्तीर्ण” होते जाइए, आपका “मूल्य” भी अवश्य बढ़ता जाएगा, श्रीकृष्ण जी कहते है “कर्म” करते जाइए और “फल की चिंता” न करे... _*अतुल शर्मा🖋️📝*_ ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📚 ✍🏻 *“26/8/2021”*🖋️ 📘 *“गुरुवार”*🐄 #“दुग्ध” #“दही”