वो भी क्या दिन हुआ करते थे जब हम भी बचपन में जिया करते थे, पिता के कंधे पर हम भी पूरा जहां घुमा करते थे, मां के हाथों का खाना अमृत सा हुआ करता था, भाई बहन का झगड़ा किसी प्यार से कम नहीं हुआ करता था, हम और चार दोस्त और उस आम के बगीचा में बिताया गया दिन क्या हुआ करते थे, मेरा भी बस एक तमन्ना हुआ करता था,लौट आए बचपन बस यही सोचा करता था। #बचपन की यादें# अंकुर मिश्रा।।। #मेराबचपन।।