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दूर पहाड़ से बहता पानी आया कहता आबशार पहला मुकाम त

दूर पहाड़ से बहता पानी आया
कहता आबशार पहला मुकाम तेरे सामने आया
न जाने कब उतर आए सितारे आसमां से
हर सितारा हर आशिक के नाम का था
इतने में आसमां में लो हो गई
सितारों की चमक कुछ और हो गई
चमकती रोशनी में हर सितारा टूट के झड़ता रहा
मैं बस खड़ा वहां देखता रहा

शशांक
                                   आबशार.... Part 2

©Shashank Prashar #poemcontinue part 2
#letter
दूर पहाड़ से बहता पानी आया
कहता आबशार पहला मुकाम तेरे सामने आया
न जाने कब उतर आए सितारे आसमां से
हर सितारा हर आशिक के नाम का था
इतने में आसमां में लो हो गई
सितारों की चमक कुछ और हो गई
चमकती रोशनी में हर सितारा टूट के झड़ता रहा
मैं बस खड़ा वहां देखता रहा

शशांक
                                   आबशार.... Part 2

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