कैसे न देते रजामंदी तुझे जाने की तु अपनी अलग ही जिद में था खो जायेगा दुनिया की भीड़ में कहीं जानते तो अच्छे से थे यह बात हम पर तू अपनी आजादी की हर उम्मीद में था कब तक रोकते टोकते तुझे ऐसे तेरे ख्वाबों का सितारा शायद किसी गर्दिश में था ढीली कर दी पकड़ अपनी और भारी मन से कर दिया आजाद तुझे जिस आज़ादी की तु उम्मीद में था । ©seema patidar आजादी