कलम✍🏻लिखती जाए दर्दों की दास्तान मेरी, लगे ऐसे जैसे खुली हो दुखों की दुकान मेरी, पर समान विकने पर तो दुकान हलकी हो जाती है ? मेरा भरा जीवन देख रूह भी हो जाती हैरान मेरी। ©Sukhwinder Singh Ahluwalia Punjabi "Pratilipi app" Shayari. #DearKanha #September1st #followers #Following #Popular #Nojoto #nojotohindi #nojotopunjabi #Trending #Punjabipoetry