'सच्ची कविता' सारी बिरह की कविताएँ तेरे ही नाम से बनती हैं पंचक वाले घर में ज्यों दीवाली काली मनती हैं फिर सरस सुरीली सरिता एक श्रंगार लिए क्यों बहती है? शायद इसको ये मालूम है के मन में तू ही तो रहती है। #NaveenMahajan सच्ची कविता #NaveenMahajan #TumBinIshqNahi