मंद पावन पवन फिर से चलने लगी। प्रिय मिलन की अगन फिर से बढ़ने लगी। पुष्प खिलने लगे भृंग गुंजन करें, कोकिला धुन मधुर फिर से बजने लगी। रो रही कह रही राधिका मन ही मन, बीत जाए न फिर से मिलन की घड़ी।। ♥️ Challenge-788 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।