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कदमों की आहट सुनते ही मैं पीछे मुड़ा, तो देखा, व

कदमों की आहट सुनते ही मैं पीछे मुड़ा, 
तो देखा, 
वो अपनी जुल्फों को चेहरे से हटा रही थी...
हालांकि हवाएँ ऐसा नहीं चाहती थी,
 इसलिए उसकी जुल्फों को बार - बार बिखेरती जा रही थी।

उसके चेहरे की मासूमियत और वो दिलनशी अदाएँ,
वो धीरे धीरे मेरे दिल बसती जा रही थी।
अजीब नशा छा रहा था सारी फिजाओं में,
जब वो अपनी खूबसूरत निगाहों को झुका कर उठा रही थी।

©Aarzoo smriti
  #कदमों की आहट.....

#कदमों की आहट.....

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