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अनायस ही बहा रहे हो, पौरूष का प्रखर ज्वार। होकर उ

अनायस ही बहा रहे हो,
पौरूष का प्रखर ज्वार।

होकर उन्माद के गिरफ्त में,
उद्दीप्त न कर हुताशन का अंगार।

समय रहते धारण कर,
थोड़ा संस्कार-सृजन का श्रृंगार।


       ~आशुतोष यादव Harlal Mahato Priya Gour indira Yogini Kajol Pathak indu singh
अनायस ही बहा रहे हो,
पौरूष का प्रखर ज्वार।

होकर उन्माद के गिरफ्त में,
उद्दीप्त न कर हुताशन का अंगार।

समय रहते धारण कर,
थोड़ा संस्कार-सृजन का श्रृंगार।


       ~आशुतोष यादव Harlal Mahato Priya Gour indira Yogini Kajol Pathak indu singh