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A girl in a public transport अंजाने में था कि जान

A girl in a public transport

अंजाने में था कि जानबूझ कर नही समझ आया ।।
वो भिड़ में छू रहा था, कौन था? नही समझ आया ।।
हाथ था यार कुछ और कहा पता चल पाता ।। 
जो सोच में था गिरा हुआ, वो कहा उठ पाता ।।

( Continue in caption ) वो बस स्टॉप पर भी था और ट्रैन के डिब्बे में भी था ।।
गलती हो गई माफ करना, वो अब हर रोज़ का था ।।
नजरों को झुकाना बचपन से ही सिखाया गया था ।।
और ये छू के गुज़रना तो सालो से चलता आया था ।।
जब छोटी थी तब कहा पता चलता था ।।
वो भी गलत था, आज समझ आया था ।।
रातो में सुनसान सड़क पर तो अब सुकुन मिल जाता था ।।भीड़ मे छुपे भेड़िए से अब बहुत ज्यादा डर लगता था ।।
नाम की इज्जत रखते रखते जिस्म को हमने बेचा था ।।
A girl in a public transport

अंजाने में था कि जानबूझ कर नही समझ आया ।।
वो भिड़ में छू रहा था, कौन था? नही समझ आया ।।
हाथ था यार कुछ और कहा पता चल पाता ।। 
जो सोच में था गिरा हुआ, वो कहा उठ पाता ।।

( Continue in caption ) वो बस स्टॉप पर भी था और ट्रैन के डिब्बे में भी था ।।
गलती हो गई माफ करना, वो अब हर रोज़ का था ।।
नजरों को झुकाना बचपन से ही सिखाया गया था ।।
और ये छू के गुज़रना तो सालो से चलता आया था ।।
जब छोटी थी तब कहा पता चलता था ।।
वो भी गलत था, आज समझ आया था ।।
रातो में सुनसान सड़क पर तो अब सुकुन मिल जाता था ।।भीड़ मे छुपे भेड़िए से अब बहुत ज्यादा डर लगता था ।।
नाम की इज्जत रखते रखते जिस्म को हमने बेचा था ।।
umangparmar6452

Umang Parmar

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