#राहें_बदले या #बदले_वक्त, #हम तो #अपनी_मँजिल #पायेंगे, जो #समझते है #खुद को #बादशाह, #एक_दिन उसे #अपने_दरबार में #जरूर_नचायेंगे ।। raahe badlo ya waqt use machaye ge zarurr #kiilersjayripoetry🙏😅💪💪