उत्तरायण प्रतीक्षा *************** सूर्य देव आपको यह पावन पर्व समर्पित, हुये सक्रांति उत्तरायण में मन करूँ अर्पित, आई फिर झूम कर ढेरो खुशियों की बहार, नवोद्भिद सुमन पुष्प से चेहरे हुये पल्लवित, शरद ऋतु में आ तिल हम सब चटकाते, बना सक्रांति आज से दिन वृद्धि कर जाते, ठिठुरन को छोड़ आप शरद को ले जाते, खग छोड़ नीड़ आलस्य गगन में दूर उड़ जाते, कर दान पुण्य स्वर्गद्वार के लिए मिल जाये मोक्ष, आपसी स्नेहाभाव भी बाँट दो ,दुआ दो परोक्ष, बल बुद्धि विद्या का ज्ञान मिले नित शीश झुकाओ, करे जो मनभावन इस पावन हृदय चंदन बन जाओ, उत्तरायण में आये सूर्य से महामारी का विनाश हो, मन उल्लसित हो जाये ऐसा जीवन हमारा खास हो, न करना कभी बैरभाव किसी भी प्राणी तुल्य से, होगा जीवनसार जगत का ऐसी प्यार की मिठास हो। कर उत्तरायण प्रतीक्षा जीवन मे नव ऊर्जा का संचार हो, मिल जाता मोक्ष जो त्याग करे दुर्गुण न कभी दुराचार हो, समूल भारत मे अनन्य नामों से प्रसिद्ध यह त्योहार है, कहीं लोहड़ी, कही बिहू तो कही सक्रांति की बहार है। उत्तरायण प्रतीक्षा *************** सूर्य देव आपको यह पावन पर्व समर्पित, हुये सक्रांति उत्तरायण में मन करूँ अर्पित, आई फिर झूम कर ढेरो खुशियों की बहार, नवोद्भिद सुमन पुष्प से चेहरे हुये पल्लवित,