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वफ़ा की आरजू वफा भी खुली हवा की तरह अज़ीज है दोस

वफ़ा की आरजू 

वफा भी खुली हवा की तरह अज़ीज है दोस्त,
कहीं शुद्ध, कहीं है कलुषित बेइमानी से,
इन्सान ही है जो कुसुरवार है आज,
फिर आरज़ू करता है बेशुमार सब से ।।


— % & #rztask246#rzलेखकसमूह#restzone
 #YourQuoteAndMine
Collaborating with Durgakumar Mishra
वफ़ा की आरजू 

वफा भी खुली हवा की तरह अज़ीज है दोस्त,
कहीं शुद्ध, कहीं है कलुषित बेइमानी से,
इन्सान ही है जो कुसुरवार है आज,
फिर आरज़ू करता है बेशुमार सब से ।।


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 #YourQuoteAndMine
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sitalakshmi6065

Sita Prasad

Bronze Star
Growing Creator