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एक ताज़ा कवित्त छंद कर्म है ज़रूरी मीत मानता हूँ

एक ताज़ा कवित्त छंद 

कर्म है ज़रूरी मीत मानता हूँ ज़िन्दगी में,
किन्तु है ज़रूरी मानें अच्छी तक़दीर भी।
स्वास्थ्य को हाँ ठीक कर देता है करेला पर,
पेट को ख़राब करे कभी-कभी खीर भी।।
पीर हाँ सही न जाये अपनी है कभी-कभी,
किन्तु जाननी ज़रूरी दूसरों की पीर भी।
भले हम राँझा जैसा रखते हैं दिल पर,
जानने को दिल यार! मिले कोई हीर भी।

©सतीश तिवारी 'सरस' 
  #मनहरण_घनाक्षरी