बचपन को बचपन ही रहने दो इन्हें थोड़ा और शरारत करने दो बचपन को ना बाँधो इस दुनियादारी में इन्हें पंख फैलाकर उडने दो हैं अब भी थोड़ा तुममे जो बचपना इन्हें तुम यूँ ही ना गुम जाने दो छोडो इस दुनिया की बाते बस तुम खुद को ही खुद में रम जाने दो छोडो कल की बाते पहले कल तो आने दो थोडी सी हैं ये जिंदगी बस इन्हें खुलकर मुसकुराने दो