मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर, गुरूद्वारे, सब बंद हैं दुनियाँ जहान के अजूबे और मीनारें, सब बंद हैं खुले हैं दरवाज़े बस इंसानियत के रहनुमाओं के हसीन वादियाँ और दिलकश नज़ारे, सब बंद हैं नुक्कड़ गाँवों के , शहरों के गलियारे , सब बंद हैं शोर लहरों का और सागर के किनारे, सब बंद हैं खुलीं हैं बाहें चंद फरिश्तें, मेहनतकश इंसानों की ये दिशायें, फिजायें, घटायें और बहारें, सब बंद है जम्हूरियत और हुक्मरानों की सरकारें, सब बंद हैं दिखावे वज़ीरो के, सियासी दांव सारे, सब बंद हैं महफूज़ है अब भी इंसा, कुदरत के रहमो करम पे सोने के महल, चौखटे, खिड़की, दिवारें, सब बंद हैं #रमज़ान_कोराकाग़ज़