दफ़न जिम्मेदारियों के बोझ तले हैं अरमान कई , सुना है इस जहाँ के इलावा और भी हैं जहान कई ।। अब नहीं आते मिलने मुझसे शाम ओ सुबह , उसकी यादों के परिंदों को मिल गए हैं आसमान कई ।। अब गैरों के साथ गुज़र जाता है उनका वक्त सभी , उसकी अठखेलियों को सुना है मिल गए हैं नादान कई ।। जाओ कह दो जाकर उनको हम भी राख कर देंगे , उनकी यादों को उनके खतों को जलाने को हैं शमशान कई ।। अभी तो शुरुआत है ऐ दिल तेरी इन इश्क़ की राहों में , अभी तो तुझे देने को बाकी हैं यहाँ इम्तिहान कई ।। Pviks786 Vikram sharma ©Vikram Sharma #dilkikahani #pviks786 #Travelstories