वर्त्तमान की दहलीज़ पर पर्दे के पीछे से झांकती बचपन की वो यादे, चेहरे की ख़ुशी, होठों की हसी और सुकून भरी राते, ना कमी किसी की, ना किसी की चाहत, दोस्तों के संग खेल में छुपी वो ज़िन्दगी की राहत, वो माँ का आँचल, नानी का प्यार, ना कोई खलिश, ना किसी से कोई तकरार , वक़्त के साथ ख़त्म हो रही खुशियाँ और ये दर्द की बौछार, जाने कब बंद हो जाए धड़कन और साँसों का व्यापार .... zindagi aur ye dard ki bauchar.... #yqdidi #yqquotes #h_Rquotes #bachapn #zindagi #dardkibauchar