Nojoto: Largest Storytelling Platform

मृत्यू क्या हैं। सबसे बड़ा सत्य, या सबसे बड़ा झुठ मृ

मृत्यू क्या हैं।
सबसे बड़ा सत्य, या सबसे बड़ा झुठ मृत्यू क्या हैं?

यह एक बहुत बड़ा प्रश्न हैं, जिसका उत्तर सबके लिये अलग हैं। क्योकी जो व्यक्ति सांसारिक क्रिया कर्मो से बंधा हैं उसके लिये यह दुख दाई हैं। जो धर्म आध्यात्म से जुडा हैं, उसके लिये यह देह की मुक्ति हैं। साधकों के लिये एक नया जन्म हैं, तो योगियों के लिये सबसे बडा झुठ। और शिव के सांसारिक भक्तो के लिये एक मात्र सत्य हैं मृत्यू।
पर बात तो वही रह गई की मृत्यू क्या हैं। तो इसका जवाब हैं, मृत्यू शायद सबसे बड़ा सत्य तो हैं मगर उतना ही बड़ा झुठ भी हैं। सत्य इस जीवन के लिये, और झुठ उस आत्मा के लिये जो इस देह मे परमात्मा के रूप मे विराजमान हैं। 
क्योकी मृत्यू इस जीवन का एक मात्र सत्य इसलिये हैं, क्योकी आपके जीवन मे कुछ भी होना या नही होना, कुछ पाना, या मिलना, या किस मात्रा मे मिलना कुछ भी तय नही हैं, उनकी कोई स्थाई इकाई नही हैं।  मगर यह तो तय हैं, एक दिन आपको मृत्यू जरुर मिलेगी। तो हुआ ना यह इस जीवन का सबसे बडा सत्य, जो घटित होकर ही रहेगा। किस अवस्था मे, किस जगह, किस तरह यह तो नही पता, मगर होगा तो सही।
और इसके ठीक विपरीत ही यह आपके भीतर बसी उस आत्मा के लिये सबसे बड़ा झुठ हैं, क्योकी उसने तो कभी मृत्यू को देखा ही नही। उसने मृत्यू को जाना ही नही, वह तो अजर अमर हैं। उसके लिये, आपका देह त्याग मृत्यू नही सिर्फ वस्त्रों का बदलना हैं। तो उसके लिये तो मृत्यू सबसे बड़ा झुठ ही होगी।
अब बताईये क्या हैं मृत्यू, सबसे बड़ा सत्य, या सबसे बड़ा झुठ।
यह सिर्फ आपको तय करना हैं, क्योकी यह तो सत्य हैं की यह देह पन्च्तत्वो से निर्मित हैं और उन्ही मे मिल जानी हैं। और यह भी उतना हो बड़ा सत्य हैं, एक बार जो आत्मा विचार के रूप मे उस परमात्मा से अलग होती हैं , उसका कभी अन्त नही होता, उसे सिर्फ मोक्ष प्राप्त होता हैं। क्योकी आत्मा एक विचार ही तो हैं, और विचारों का अन्त सम्भव नही।
मृत्यू क्या हैं।
सबसे बड़ा सत्य, या सबसे बड़ा झुठ मृत्यू क्या हैं?

यह एक बहुत बड़ा प्रश्न हैं, जिसका उत्तर सबके लिये अलग हैं। क्योकी जो व्यक्ति सांसारिक क्रिया कर्मो से बंधा हैं उसके लिये यह दुख दाई हैं। जो धर्म आध्यात्म से जुडा हैं, उसके लिये यह देह की मुक्ति हैं। साधकों के लिये एक नया जन्म हैं, तो योगियों के लिये सबसे बडा झुठ। और शिव के सांसारिक भक्तो के लिये एक मात्र सत्य हैं मृत्यू।
पर बात तो वही रह गई की मृत्यू क्या हैं। तो इसका जवाब हैं, मृत्यू शायद सबसे बड़ा सत्य तो हैं मगर उतना ही बड़ा झुठ भी हैं। सत्य इस जीवन के लिये, और झुठ उस आत्मा के लिये जो इस देह मे परमात्मा के रूप मे विराजमान हैं। 
क्योकी मृत्यू इस जीवन का एक मात्र सत्य इसलिये हैं, क्योकी आपके जीवन मे कुछ भी होना या नही होना, कुछ पाना, या मिलना, या किस मात्रा मे मिलना कुछ भी तय नही हैं, उनकी कोई स्थाई इकाई नही हैं।  मगर यह तो तय हैं, एक दिन आपको मृत्यू जरुर मिलेगी। तो हुआ ना यह इस जीवन का सबसे बडा सत्य, जो घटित होकर ही रहेगा। किस अवस्था मे, किस जगह, किस तरह यह तो नही पता, मगर होगा तो सही।
और इसके ठीक विपरीत ही यह आपके भीतर बसी उस आत्मा के लिये सबसे बड़ा झुठ हैं, क्योकी उसने तो कभी मृत्यू को देखा ही नही। उसने मृत्यू को जाना ही नही, वह तो अजर अमर हैं। उसके लिये, आपका देह त्याग मृत्यू नही सिर्फ वस्त्रों का बदलना हैं। तो उसके लिये तो मृत्यू सबसे बड़ा झुठ ही होगी।
अब बताईये क्या हैं मृत्यू, सबसे बड़ा सत्य, या सबसे बड़ा झुठ।
यह सिर्फ आपको तय करना हैं, क्योकी यह तो सत्य हैं की यह देह पन्च्तत्वो से निर्मित हैं और उन्ही मे मिल जानी हैं। और यह भी उतना हो बड़ा सत्य हैं, एक बार जो आत्मा विचार के रूप मे उस परमात्मा से अलग होती हैं , उसका कभी अन्त नही होता, उसे सिर्फ मोक्ष प्राप्त होता हैं। क्योकी आत्मा एक विचार ही तो हैं, और विचारों का अन्त सम्भव नही।