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शायद ये दुनिया हैरान है,और बेदम है मायने अभिनय में

शायद ये दुनिया हैरान है,और बेदम है
मायने अभिनय में मेरे..कुछ तो दम है

मैं जब नजरें झुकाता हूँ, साधता हूँ इन्हें
मुझे ये जमीं कहीं वैदेही तो कहीं मरियम है..

मेरे हाथों में पैमाना देखने वालों सुनो
इस पैमाने से कहीं भारी साकी के गम है

मेरे होठों पर जमीं खूं की लाली कहती है
आवाज को दबाने वाले कितने बेरहम है..

चिथड़े चिथड़े दामन हो रही है सभ्यता मेरी
और हम कहते है ...ये नदियों का संगम है..

#पंकज

©pankaj sharma
  #walkalone