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साँझ शाम का रंग जरा देखो तो... चारदीवारी में सिमट

साँझ  शाम का रंग जरा देखो तो...
चारदीवारी में सिमटे कमरे की घुटन से बाहर निकलकर जरा 
तुम खुले आसमां में खुलकर श्वास लेकर तो देखो

ढलते सूरज की लालिमा में दिवाकर का यूं गुम हो जाना तो देखो

भोर के कलरव को सांझ ढले अपने ठिकाने की ओर जाते तो देखो

वृक्षों, टहनियों और पत्तियों का यूं हिल-हिल कर तुम्हे बुलाना तो देखो

ये रंग-रंगीली, साज - सजीली 
शाम इठलाती हुई आयी है तुमसे मिलने को,

तुम जरा बाहर आकर 
इस शाम का रंग तो देखो।।

©begani kalam शाम का रंग जरा देखो तो.....

#saanjh 
#beganikalam
साँझ  शाम का रंग जरा देखो तो...
चारदीवारी में सिमटे कमरे की घुटन से बाहर निकलकर जरा 
तुम खुले आसमां में खुलकर श्वास लेकर तो देखो

ढलते सूरज की लालिमा में दिवाकर का यूं गुम हो जाना तो देखो

भोर के कलरव को सांझ ढले अपने ठिकाने की ओर जाते तो देखो

वृक्षों, टहनियों और पत्तियों का यूं हिल-हिल कर तुम्हे बुलाना तो देखो

ये रंग-रंगीली, साज - सजीली 
शाम इठलाती हुई आयी है तुमसे मिलने को,

तुम जरा बाहर आकर 
इस शाम का रंग तो देखो।।

©begani kalam शाम का रंग जरा देखो तो.....

#saanjh 
#beganikalam
poojagupta1008

begani kalam

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