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इन खुली लटों को अपनी, भला क्यों तुम संवारते नहीं..

इन खुली लटों को अपनी,
भला क्यों तुम संवारते नहीं........
अपना वक्त अब तुम क्यों,
साथ में हमारे गुज़ारते नहीं.........
कहते हो तुम तलाश में हो,
किसी महबूब की आज-कल.......
फ़िर भला क्यों तुम अपनी,
ये नज़र हम पर मारते नहीं..........

©Poet Maddy इन खुली लटों को अपनी,
भला क्यों तुम संवारते नहीं........
#Open#Groom#Waste#Time#Together#Search#Lover.........
इन खुली लटों को अपनी,
भला क्यों तुम संवारते नहीं........
अपना वक्त अब तुम क्यों,
साथ में हमारे गुज़ारते नहीं.........
कहते हो तुम तलाश में हो,
किसी महबूब की आज-कल.......
फ़िर भला क्यों तुम अपनी,
ये नज़र हम पर मारते नहीं..........

©Poet Maddy इन खुली लटों को अपनी,
भला क्यों तुम संवारते नहीं........
#Open#Groom#Waste#Time#Together#Search#Lover.........
manishsaini7413

Poet Maddy

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