क्या भगत सिंह का भारत यही है देश के लिए जो कुर्बान खुशी से हो जातें हैं फर्ज अपने देश के लिए दिलों जान से निभातें हैं शहीद होकर तिरंगे में लिपटकर ही घर आते हैं पर सरहद पर दुश्मन को कभी नहीं पीठ दिखाते हैं.. उन शहीदों को क्या हम शुक्रिया करते हैं उतना जितना कुछ वो हम सब के लिए कर जाते हैं.. खाखी पहनकर जो हमारे शहरों की रक्षा करते हैं, कितनी सारी दुर्घटनाओं से हमें सुरक्षा देते हैं और कितने उसमे अपनी जान गवाते हैं.. तुकाराम बहुत हैं पर क्या हम कभी उन शहीदों का नाम दोहराते हैं.. याद भी रखते हैं उन्हें हम तो उन्हें शुक्रिया करना भूल ही जाते हैं.. कितने शाहिद ऐसे भी हैं जो टूटती सांस को बचाते हैं.. पूरा जीवन अपना सफेद वर्दी में परिवारों की आस जोड़ते हैं.. किसी का नाम याद रखते हैं हम जो महामारी में फैलती कितनी बीमारी में भी बिना एक पल छुट्टी लिए बस"सेवा परमों धर्म" निभाते हैं.. हम क्या उनका शुक्रिया करते हैं जो हमारे घरों के नालों को साफ करते करते कचरा उठते उठाते कितनी बीमारियों का शिकार होकर शहीद हो जाते हैं.. तिरंगे में कितने सेवकों का शरीर नही लिपटकर आता घर पर देश की सेवा में जो मरते हैं वो सब शहीद ही हैं और हम में से कितने है जो इन शहीदों के लिए एक पल निकलकर दुआ करना भी जानते हैं.. हम बस दिवस का नाम रखते हैं पर क्या भगत सिंह का भारत यही है.. जिसके लिए वो इंकलाब का नारा लगाते थें.. क्या भगत सिंह का भारत यही है... #शहीददिवस #yqdidi #yqbaba #yqhindi #yqhindiwriters #mywritingmywords #mywritingmythoughts #भगतसिंह