कहां ढूंढ रहा जग में तू शौर्य तो तेरे अंदर है क्यों समझे तू खुद को अकेला तू खुद में एक समंदर है दर-दर अब तू भटक नहीं बस एक राह तू चलता चल मंजिल खुद ही मिल जाएगी बस रह तू अपने पथ पर अविचल जो कदर नही करते तेरी तु क्यू उनकी परवाह करे दुख की बहती धारा में क्यों जीवन का निर्वाह करे। मत कर इस क्षण को व्यर्थ यूं दे जीवन को अब अर्थ तु। है समय निकट अब प्रस्तुत कर अपना सारा सामर्थ्य तु ©yash Kumar short poems #Drown