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।। ओ३म् ।। तस्मै स होवाच - - द्वे विद्ये वेदितव्य

।। ओ३म् ।।

तस्मै स होवाच - - द्वे विद्ये वेदितव्ये इति ह स्म यद् ब्रह्मविदो वदन्ति परा चैवापरा च ॥

अंगिरस ने उनसे यह कहाː दो प्रकार की विद्याऐं हैं जो जानने योग्य हैं, जिनके विषय में ब्रह्मविद्-ज्ञानी बताते हैं, परा तथा अपरा।

To him thus spoke Angiras: Twofold is the knowledge that must be known of which the knowers of the Brahman tell, the higher and the lower knowledge.

( मुण्डकोपनिषद् १.४ ) #मुण्डकोपनिषद् #upnishad #परा #अपरा
।। ओ३म् ।।

तस्मै स होवाच - - द्वे विद्ये वेदितव्ये इति ह स्म यद् ब्रह्मविदो वदन्ति परा चैवापरा च ॥

अंगिरस ने उनसे यह कहाː दो प्रकार की विद्याऐं हैं जो जानने योग्य हैं, जिनके विषय में ब्रह्मविद्-ज्ञानी बताते हैं, परा तथा अपरा।

To him thus spoke Angiras: Twofold is the knowledge that must be known of which the knowers of the Brahman tell, the higher and the lower knowledge.

( मुण्डकोपनिषद् १.४ ) #मुण्डकोपनिषद् #upnishad #परा #अपरा