अपनी शर्म भुलाकर, वो बच्चों की तड़प याद रखती है, फटे लिबास में भी, वो अपने बच्चों को आंचल से ढक कर रखती है, झिझक को अलग कर, वो इस पापी पेट की खातिर भीख मांगा करती है, खुद खाली पेट रह कर भी, वो अपने बच्चों को हर निवाला बड़े प्यार से खिलाती है, अस्तिव अपना बिसार कर, वो बच्चों के लिए अपनी सारी जिंदगी निसार कर देती है, वो इस दुनिया में रहकर भी, इससे अलग बच्चों में ही अपनी नई दुनिया बना लेती है... वो माँ है जनाब, अपने बच्चों के लिए असंभव को भी संभव बना लेती है... #265thquote