क्या सोते सोते बीच में झटके से आधी रात तुम्हारी भी आंख खुलने लगी है क्या तुम भी बेवजह हंसने की नाकाम कोशिशें करने लगी हो तकिए में मुंह छुपा रात रात भर क्या तुम भी रोने लगी हो उस शक्स की याद में क्या तुम भी तिल तिल के मरने लगी हो अंधेरा किस तरह काटने को दौड़ता है तनहाइयां किस तरह मारने को दौड़ती हैं कैसे लोगों के सवाल अंदर तक झिंझोर जाते हैं कैसे रूह कांपने लगती है कैसे वो सारी यादें आंखो के सामने बेवजह बेवक्त आने लगती है क्या तुम्हारे दिल में भी अब कभीकभी दर्द उठने लगा है To Be continued Ishq Ka Insaaf #Kalakaksh #NewTamplates #Nojoto #Love