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हम जब हमारे गाँव के स्कूल में पढ़ते थे ! हमारे स्

हम जब  हमारे गाँव के स्कूल में पढ़ते थे !
हमारे स्कूल के पीछे  एक बड़ का बहुत बड़ा और घना पेड़ था !
और छोटा सा स्कूल का खेल का मैदान भी साथ मे था !
जब भी समय मिलता हम वहां पहूँच जाते, उस समय हमें ज्यादा खेल नहीं खिलाते थे हम बऱगद के नीचे ठंडी छाया में खो-खो खेलते, गिल्ली-डंडा और काँई-डंका जैसे खेल खेलते ! साथ में तालाब था अगर गरमी लगती तो उसमे् नहा लेते और खूब मस्ती करते ! अब लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है,
मैदान पर तो पेड़ को भी नहीं छोड़ा !
अब ना पेड़ रहा ना ता़लाब में पानी 
अब बाऱिश ही नहीं होती  लोगों ने अपने स्वार्थ व लालच में सब खत्म कर दिए !! 
अब बस यादों के झऱोके बाकी रह गए😳😳😳
 उस पेड़ की ठंडी छाँव'

एक पेड़ सिर्फ़ एक पेड़ नहीं होता, वो इंसानी वजूद का इस्तिआरा भी है जो प्रेम और करुणा से भरा हुआ होता है।

इस गर्मी में ऐसे ही किसी दरख़्त को याद करें। उस की छाँव में गुज़ारी हुई सोहबतों के  क़िस्से बयान करें।

Collab करें YQ Bhaijan के साथ।
हम जब  हमारे गाँव के स्कूल में पढ़ते थे !
हमारे स्कूल के पीछे  एक बड़ का बहुत बड़ा और घना पेड़ था !
और छोटा सा स्कूल का खेल का मैदान भी साथ मे था !
जब भी समय मिलता हम वहां पहूँच जाते, उस समय हमें ज्यादा खेल नहीं खिलाते थे हम बऱगद के नीचे ठंडी छाया में खो-खो खेलते, गिल्ली-डंडा और काँई-डंका जैसे खेल खेलते ! साथ में तालाब था अगर गरमी लगती तो उसमे् नहा लेते और खूब मस्ती करते ! अब लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है,
मैदान पर तो पेड़ को भी नहीं छोड़ा !
अब ना पेड़ रहा ना ता़लाब में पानी 
अब बाऱिश ही नहीं होती  लोगों ने अपने स्वार्थ व लालच में सब खत्म कर दिए !! 
अब बस यादों के झऱोके बाकी रह गए😳😳😳
 उस पेड़ की ठंडी छाँव'

एक पेड़ सिर्फ़ एक पेड़ नहीं होता, वो इंसानी वजूद का इस्तिआरा भी है जो प्रेम और करुणा से भरा हुआ होता है।

इस गर्मी में ऐसे ही किसी दरख़्त को याद करें। उस की छाँव में गुज़ारी हुई सोहबतों के  क़िस्से बयान करें।

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anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator