आतिश-ए-दिल को हम अपने बुझाए कैसे, कि जैसे हैं ही नहीं हम वैसे नजर आए कैसे। एक शख्स बस गया है रगों में खून के मानिंद, उसी शख्स को अब हम भला भुलाएं कैसे। {Sabreen Nijam} bhulaye kaise... #nojoto#dil#sayari