इन्सान की यह कमज़ोरी है कि वो किसी ख़बर को दूर की एक चीज़ समझता है। वो किसी ख़बर को ज़ाती तजुरबे के तौर पर नही लेता। मिसाल के तौर पर सिगरेट पीने के नुक़सान की ख़बर आदमी को सिगरेट से रोकने वाली नही बनती। वो सिगरेट पीना उसी वक़्त छोड़ता है जब कि उसको सिगरेट पीने के नुक़सान का ज़ाती तजुर्बा होता है। यह एक ख़तरनाक कमज़ोरी है। हर औरत व मर्द को चाहिये कि वो अपने आपको इस कमज़ोरी का शिकार होने से बचाए। (#किताबे_मारिफत_P_587) lokesh jatawat (रावण)