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White यह कैसी तन्हाई है, दिल में एक तिश्नगी है,

White यह कैसी तन्हाई है,  
दिल में एक तिश्नगी है,  
मुल्क-ए-ग़ैर में बसे हम,  
मगर दिल वहीं की गली है।  

याद आती हैं वो गलियाँ,  
जहाँ बचपन बीता था,  
दोस्तों की महफिलें,  
जहाँ हर ग़म भुलाया था।  

अम्मी की लोरियों में,  
सुकून-ए-दिल की बातें थीं,  
अब तो बस ख़्वाबों में,  
वो सारी राहतें हैं।  

वो मस्जिद की अज़ान,  
वो मंदिर की आरती,  
हर सुबह की ताज़गी,  
अब बस यादों की बात है।  

परदेस की चमक में,  
दिल की वीरानियाँ हैं,  
रोज़ी की तलाश में,  
बस यादों की परछाइयाँ हैं।  

वतन की मिट्टी की खुशबू,  
रूह में घुल जाती है,  
पर इस सफ़र की मंज़िल,  
बस एक बेचैनी लाती है।  

कब लौटूंगा उस ज़मीन पर,  
जहाँ दिल बसता था,  
मुल्क-ए-ग़ैर की दौलत,  
मुझे क्या रास आएगी?

©Niaz (Harf)
  #Sad_Status 
#Niaz  R. Ojha  Sircastic Saurabh  Sethi Ji  Sana Ekram  Adhuri Hayat Dia 
यह कैसी तन्हाई है,  
दिल में एक तिश्नगी है,  
मुल्क-ए-ग़ैर में बसे हम,  
मगर दिल वहीं की गली है।  

याद आती हैं वो गलियाँ,