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krishna vani अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः। भी

krishna vani अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः।
 भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि॥

भावार्थ:
इसलिए सब मोर्चों पर अपनी-अपनी जगह स्थित रहते हुए आप लोग सभी निःसंदेह भीष्म पितामह की ही सब ओर से रक्षा करें
 ॥11।।

©AB SINGH 007 श्लोक 11

#God
krishna vani अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः।
 भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि॥

भावार्थ:
इसलिए सब मोर्चों पर अपनी-अपनी जगह स्थित रहते हुए आप लोग सभी निःसंदेह भीष्म पितामह की ही सब ओर से रक्षा करें
 ॥11।।

©AB SINGH 007 श्लोक 11

#God