#OpenPoetry नज़्म:- बंद कमरा एक मुद्दत से बंद है कमरा बंद कमरे में एक खिड़की है जो के पूरब की ओर खुलती है शम्स पूरब से जब निकलता है खिड़की कमरे की बंद रहती है खिड़की खुलती है दोपहर के बाद शम्स पूरब में जब नहीं रहता कौन रहता है बंद कमरे में जिसको रौशन वजूद का ग़म है जिसको तनवीर से शिकायत है जिसपे तारीकियों का ग़लबा है लोग कहते हैं कमरा ख़ाली है कोई रहता नहीं है कमरे में क्या वो आशिक़ था रौशनी का कोई जिसको धोका मिला मुहब्बत में? एक मुद्दत से बंद है कमरा बंद कमरे में एक खिड़की है जो के पूरब की ओर खुलती है #AzharHashmiSabqat #nojoto #love #loyality #betrayal #poetry #urdupoetry #separation #meet #care #quotes #stories #shayari