हुस्न- ए -दिसंबर अब जरा देख लो अजब है मस्त कलंदर जरा देख लो। कोई तुफां से ही आया होगा गुजर खुशनुमा सा अब मंजर जरा देख लो। किस्से ही तो है कहने दो कहने वालो को बूंद-बूंद ही तो है समंदर जरा देख लो। कोई घायल कोई मारे गए उस राह पर किसके हाथों है वो खंजर जरा देख लो। कोहरा क्यूं घना सा हर तरफ छाने लगा। आग सा है क्या अपने अंदर जरा देख लो। ये तो "रूप" ही जाने वो खुश है मगर पत्ता पत्ता सा बिखरा बवंडर जरा देख लो। ©Prof. RUPENDRA SAHU "रूप" #रूप_की_गलियाँ #रूपेन्द्र_साहू_रूप #rs_rupendra05 #Rup_ki_Galiyan