बना ली थी हमने, पूरी इक दुनिया तेरे नाम से। बस तेरे क़दमों के छुवन बाकी थी, तुम आए, तो मुकम्मल हुई ये दुनिया, अब तेरे जाने के बाद, सब वीरान सा पड़ा है इसमें। मैं भटकता रहता हूं इसमें कहीं, कभी इस गली कभी उस, सब में हैं घर कुछ बने हुए, कुछ तुमसे जुड़े यादों के, कुछ तुमसे जुड़े ख्वाबों के। कुछ तुम्हारे हमसे किए वादो के और मेरी बेचारगी देखो, अपनी ही बनाई दुनिया में, खो सा जाता हूं हर बार। रास्ते पर देखते, तेरा इंतज़ार करते उम्मीद है, तुम आओगे डर है, कहीं भूल जाओगे।