मेरे ईरादो की मजबुती न पुछ ए मुसाफिर मैनै तय किया तो तय किया मेरे हौसलो की उड़ान के अपने ही पंख है तु मुजसे मेरे मंजिलो के रास्तो के नक्शे न पुछ जब चल पड़े तो चल पड़े मेरे कदम फिर फासले क्या ;?और काफिले क्या ? ईरादो की अकेले ही महफिले होती है ।