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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से गोवा की आजादी म

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से गोवा की आजादी में विलंब उनकी चर्चा में गोवा मुक्त आंदोलन चर्चा के केंद्र में आ गया है भारतीय सेना ने 1961 में 19 दिसंबर को गोवा को पुर्तगाल शासन से मुक्त कराया था इसी कारण स्थिति को गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाते हैं प्रधानमंत्री की ओर से गोवा की मुक्ति में देरी का उल्लेख किए जाने से ना केवल यह मामला इस राज्य में चुनावी मुद्दा बन गया है बल्कि इसे लेकर आजादी की जिज्ञासा भी बढ़ गई है आंखें गोवा की आजादी में इतनी देरी क्यों अब आजादी का महत्व मनाया जा रहा है इस सवाल की तरह तक जाना आवश्यक है प्रधानमंत्री ने नेहरू जी के उस भाषण का उल्लेख किया जिन्होंने उन्होंने कहा था कि कोई धोखे में ना रहे कि हम वह फौजी करवाएंगे करेंगे जो लोग वहां जा रहे हैं उन्होंने वहां जाना मुबारक नेहरू जी का इस आराम समाजवादी नेता श्याम राम मनोहर लोहिया की ओर से था जो 1946 में ही गोवा मुख्य संग्राम का नेतृत्व कर रहे थे लोहार जिले से रिहा के बाद लोहिया अपने सहपाठी मित्र मंजेश के नियंत्रण में जून 1946 को पंडित जी सीता ने के निवासी पर पहुंचे जो कि समाजवादी विचारों को लेकर अपनी परिकथा के कारण में अपनी अलग पहचान बना चुके थे इसलिए उनके गोवा आगमन का समाचार मिलते ही उनसे मिलने जुलने वाले का तांता लगने लगा 18 जून 1946 को लोहिया की जनसभा का ऐलान हो गया और इसी के साथ गोमंतक में नागरिक स्वतंत्र आंदोलन की शुरुआत हो गई

©Ek villain #गोवा की मुक्ति में देरी का सवाल

#VantinesDay
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से गोवा की आजादी में विलंब उनकी चर्चा में गोवा मुक्त आंदोलन चर्चा के केंद्र में आ गया है भारतीय सेना ने 1961 में 19 दिसंबर को गोवा को पुर्तगाल शासन से मुक्त कराया था इसी कारण स्थिति को गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाते हैं प्रधानमंत्री की ओर से गोवा की मुक्ति में देरी का उल्लेख किए जाने से ना केवल यह मामला इस राज्य में चुनावी मुद्दा बन गया है बल्कि इसे लेकर आजादी की जिज्ञासा भी बढ़ गई है आंखें गोवा की आजादी में इतनी देरी क्यों अब आजादी का महत्व मनाया जा रहा है इस सवाल की तरह तक जाना आवश्यक है प्रधानमंत्री ने नेहरू जी के उस भाषण का उल्लेख किया जिन्होंने उन्होंने कहा था कि कोई धोखे में ना रहे कि हम वह फौजी करवाएंगे करेंगे जो लोग वहां जा रहे हैं उन्होंने वहां जाना मुबारक नेहरू जी का इस आराम समाजवादी नेता श्याम राम मनोहर लोहिया की ओर से था जो 1946 में ही गोवा मुख्य संग्राम का नेतृत्व कर रहे थे लोहार जिले से रिहा के बाद लोहिया अपने सहपाठी मित्र मंजेश के नियंत्रण में जून 1946 को पंडित जी सीता ने के निवासी पर पहुंचे जो कि समाजवादी विचारों को लेकर अपनी परिकथा के कारण में अपनी अलग पहचान बना चुके थे इसलिए उनके गोवा आगमन का समाचार मिलते ही उनसे मिलने जुलने वाले का तांता लगने लगा 18 जून 1946 को लोहिया की जनसभा का ऐलान हो गया और इसी के साथ गोमंतक में नागरिक स्वतंत्र आंदोलन की शुरुआत हो गई

©Ek villain #गोवा की मुक्ति में देरी का सवाल

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