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बिन पंगा लेय कुछ मिलत नाहीं, दिल भए तोर शांत ! दुन

बिन पंगा लेय कुछ मिलत नाहीं,
दिल भए तोर शांत !
दुनिया करत है अब त्राहि - त्राहि,
विनती करत हो गई सुबह से शाम !
लाठी उठाव अब सीना तान के,
सब झुकिहें लिहें तोहर नाम !
सनातनी जाम पी ल अब तू,
बनिहे सब बिगड़ी काम!
जीए के बा त,
दिखा द आपन ताम झाम!!
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प्रमोद मालाकार
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©pramod malakar
  #बीन पंगा लेय

#बीन पंगा लेय #कविता

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