हमारे बचपन की यादो की आखिरी इमारत ढह गयी इमारत के हर पत्थर के साथ वो खुशिया बह गयी वो खुशियों का महल ढह गया बस यादें जहन में रह गयी जिस इमारत ने कई जीवन संजोए थे खुशियो से भरे वो अपने आखिरी पलों में देखो कितने दर्द सह गयी। #इमारत