बचपन और पॉकेटमनी एक रूपया भी जब लाखो के समान था जब लाखो का नहीं बस चिल्लरों का अरमान था घर के लिए समान लेने जाते तो अपना हिस्सा बचा लेते थे ये दिल बड़ा बेईमान था। #Pocketmoney P