जिम्मेदारियों के बोझ से कलम थम गयी थी, तुम ये न समझो कि मंज़िल भूल गए हम; आगे बढ़ने की चाह में राह भटक गए थे, तुम ये न समझो कि लिखना भूल गए हम; जिंदगी की कश्मकश में कहीं खो गए थे, तुम ये न समझो कि दिल लगाना ही भूल गए हम!. -Bhavesh Purohit #firstquote #lafjo_ki_kahaani #jimmedari #manzil #likhna #zindagi #kashmakash #dil_lagana #writersofinstagram #quoteoftheday ThanxX Editor in Chief Yogii Raaz